कोई कब तक महज सोचे

कोई कब तक महज सोचे 🎤,
कोई कब तक महज गाए 📜,
ईलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाए 📜,
मेरा मेहताब उसकी रात के आगोश मे पिघले 😊,
मैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ वो मुझमे घुल के सो जाए 🎤🎶