हक़ीकत कह नहीं पाती ज़ुबाँ मेरी 💞😍,
सहमा रहता हूँ मैं वक्त की मार से 😍,
नहीं पढ़ने देता मैं ख़ुद की नज़रें 😘❤️,
डरा रहता हूँ मैं उनके इज़हार से! 😘💞
हक़ीकत कह नहीं पाती ज़ुबाँ मेरी 💞😍,
सहमा रहता हूँ मैं वक्त की मार से 😍,
नहीं पढ़ने देता मैं ख़ुद की नज़रें 😘❤️,
डरा रहता हूँ मैं उनके इज़हार से! 😘💞